Magadh University, Bihar के जाने माने और बड़े विश्वविद्यालय में से एक है, लेकिन ये काम के मामले में अपने नाम के बिल्कुल उलट रवैया रखने वाला University बना हुआ है। ये समय से स्नातक को पूरा न करने वाली लिस्ट मे तो बदनाम है ही साथ साथ इसके छात्रों के डाटा और परीक्षा के प्रति लापरवाही की भी कोई सीमा नहीं है। वहीं अगर ऊपर वाले का नाम लेकर आपकी डिग्री कम्प्लीट हो भी जाती है तो आपको अपनी डिग्री सर्टिफिकेट लेने के लिए पसीने छूट जाएंगे।
ऊपर से यूनिवर्सिटी के स्टाफ का रवैया S.B.I के स्टाफ से तो बिल्कुल पीछे नहीं है एक काउन्टर टू काउन्टर दौड़ाने मे माहिर हैं तो ये महाराज आपको सेक्शन टू सेक्शन दौड़ाने मे कसर नहीं छोड़ते। इस लेख को लिखने का एक कारण ये भी है के अगर कोई अपर प्रबंधक, सचिव या ऐसे अधिकारी जो ऐसे मामलों की देखरेख करते हैं वो इसे पढ़ कर अपने संज्ञान मे ले सकें। आइए पहले Magadh University का इतिहास जान लेते हैं।
History Of Magadh University in Hindi
Magadh University, Bodh Gaya, Bihar, भारत में उच्च शिक्षा का एक संस्थान है। इसे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा मान्यता प्राप्त है। विश्वविद्यालय अब बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 द्वारा शासित है।
मगध विश्वविद्यालय की स्थापना (University was Established) 1962 में सत्येंद्र नारायण सिन्हा, एक शिक्षाविद और बिहार के तत्कालीन शिक्षा मंत्री द्वारा की गई थी। के के दत्ता, एक प्रसिद्ध इतिहासकार, Vice Chancellor थे। इन्होंने 2 March 1962 से दो घटक कॉलेजों, 32 संबद्ध कॉलेजों और सात स्नातकोत्तर विभागों के साथ काम करना शुरू कर दिया। 1992 में, 17 संघटक कॉलेजों को नए गठित वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा (भोजपुर) में स्थानांतरित कर दिया गया था।
यह University विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, मानविकी और वाणिज्य के संकायों में उच्च शिक्षा और अनुसंधान के लिए सुविधाएं प्रदान करता है। 19 घटक (19 Constituent) कॉलेजों, 22 पीजी विभागों और 39 संबद्ध कॉलेजों के साथ, मगध विश्वविद्यालय बिहार का सबसे बड़ा (Largest University) विश्वविद्यालय है। वर्षों की चर्चा और विचार के बाद, मगध विश्वविद्यालय 2018 में विभाजित हो गया था और एक और विश्वविद्यालय यानी पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया, जो अपने अधिकार क्षेत्र में पटना और नालंदा जिले के भौगोलिक क्षेत्र के भीतर स्थित सभी कॉलेजों के अंतर्गत था, जो पहले मगध विश्वविद्यालय के अंतर्गत आता था।
कई व्यावसायिक / व्यावसायिक पाठ्यक्रम जैसे M.B.A., M.C.A., B.C.A., B.B.M. पर्यावरण विज्ञान, पर्यटन और यात्रा प्रबंधन, परामर्श और पुनर्वास, पत्रकारिता और जनसंचार, आदि Constituent Colleges और Affiliated Colleges में चलाए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय के अंतर्गत दो सरकारी मेडिकल कॉलेज, दो निजी इंजीनियरिंग कॉलेज, एक निजी डेंटल कॉलेज और तीन लॉ कॉलेज हैं। मगध विश्वविद्यालय दूरस्थ शिक्षा (Distance education) की सुविधा भी प्रदान करता है।
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Magadh University- बड़ा नाम लेट काम
अब चलते हैं इस आर्टिकल के मेन पॉइंट पर जैसा के मैंने टाइटल लिखा है Magadh University- बड़ा नाम लेट काम। सभी बिहार के वासी जानते होंगे के Magadh University is a largest university of bihar है। यहाँ पर UG, PG courses जैसे Degree Courses और भी अन्य जाने माने Courses की व्यवस्था है,लेकिन इसके पीछे छुपे हुए काले सच को शायद वही जानता होगा जो इस University के करीब रहा हो यहाँ से जिसने पढ़ाई की हो।
इस University की लेटलतीफी से तो सभी वाकिफ होंगे इनकी ये लेट होने की वजह कोरोना नहीं है, कोरोना तो अभी साल दो साल पहले ही आया है, इस यूनिवर्सिटी में Admission किए हुए डिग्री के छात्रों को 3 साल की जगह 5 साल तक का समय Degree सम्पूर्ण करने के लिए खर्च करना पड़ा है। लेकिन शायद प्रबंधन के संज्ञान लेने पर अभी कुछ सालों से स्थिति में कुछ सुधार हुआ है, परीक्षा शायद सही समय से कराए जाने लगे हैं।
लेकिन दयनीय स्थिति तो तब आती है जब किसी छात्र के एडमिट कार्ड या रिजल्ट में कुछ त्रुटि हो जाती है जैसे नाम,अंक या किसी और चीज में (और ये अक्सर होता है) कॉलेज से एक आवेदन लिख कर फॉरवर्ड किया जाता है और छात्र को University के बयाबान जंगल में चक्कर लगाने को भेज दिया जाता है। छात्र डिपार्ट्मन्ट को ढूँढता हुआ आवेदन को जमा करवाता है और पूछते पूछते थक जाता है के “सर, इसमें सुधार कब तक हो जाएगा?” अधिकारी साहब मुंह खोलकर जवाब तक नहीं देते और बेचारा छात्र हराश होकर वापस लौट आता है।
University के स्टाफ की लापरवाही इस बात से और ज्ञात हो जाती है की कभी कभी परीक्षा का दिया हुआ पेपर को भी इनके द्वारा खो दिया जाता है। Vocational Courses (व्यावसायिक पाठ्यक्रम) जैसे BCA, BSC-IT, BBA आदि की तो हालत और भी खराब है, आपको याद रखना चाहिए के किसी भी डिपार्ट्मन्ट की बदनामी उसके कर्मियों के द्वारा ही आंकी जाती है। अभी 2017-2020 सेशन की ही बात करते हैं, लगभग 12 छात्रों के हिन्दी का दिया हुआ पेपर यूनिवर्सिटी या सेंटर के द्वारा खो दिया गया, बेचारे छात्र की क्या गलती? रिजल्ट आया तो पता चला के रिजल्ट पेंडिंग है।
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University का चक्कर काटने के बाद 3 साल हो चुके तीनों साल की परीक्षा भी समाप्त हो गई रिजल्ट भी प्रकाशित हो गया लेकिन अभी तक उन 12 छात्रों का रिजल्ट पेंडिंग में है। हर बार यूनिवर्सिटी जाकर “हो जाएगा” का वार्तालाप सुनकर छात्र निराश लौट आते हैं। अब ये बात समझ नहीं आती के ये 3 साल से हो जाएगा का रट लगाने वाले स्टाफ जरा बताएं कि उनकी जवाबदेही लेने वाला कोई है या ये ऐसे ही वे छात्रों की ज़िंदगी से खेलते रहेंगे?
क्या ऐसे छात्र अगर आगे नामांकन करने या जॉब करने की सोचें तो रिजल्ट पेंडिंग के कारण कैसे कर पाएंगे? आखिर इनके काम की जवाबदेही लेने वाला कोई तो होना चाहिए, कहाँ है Vice Chancellor और Controller Of Examination? खैर इन लोगों तक तो छात्रों को पहुचने ही नहीं दिया जाता और Nodal Officer के गेट के सामने हमेशा ताला लटका हुआ रहता है।
अगर आप डिग्री सेक्शन की बात करें तो लोग चक्कर काट काट कर पसीने निकाल लेते हैं इतनी भीड़ होती है के आपसे सीधी मुंह बात करने वाला कोई नहीं होता, आपका फॉर्म जमा करने के लिए चार सेक्शन के चक्कर लगाने से S.B.I बैंक के काउन्टर स्टाफ का चेहरा नजर आ जाता है। एक 2010 में पास हुई छात्रा ने नाम न बताते हुए कहा की-
[quote style=”default”]“वो 3 साल से ऐसे ही दौड़ रही हैं हर बार दोबारा फॉर्म को जमा लेकर अगले तीन महीने में आने को बोला जाता है और फिर तीन महीने बाद वही कहानी होती है, कारण पूछने पर सुनवाई नहीं होती या गेट आउट का नारा लगा कर भागा दिया जाता है।”[/quote]
Magadh University ने Online Degree लेने की भी सुविधा शुरू की है, लेकिन छात्रों के मुताबिक इसकी भी ट्रैकिंग रिकॉर्ड नहीं होती एक बार पैसे ऑनलाइन करने के बाद आगे का कोई प्रोसेस नहीं बताया जाता, छात्र को प्रतीक्षा करके यूनिवर्सिटी का रुख ही करना पड़ता है।
Conclusion-
University छात्रों के समाधान और उनके हित के लिए होनी चाहिए न कि उन्हें डरा धमका कर भागा देने के लिए, अक्सर देखा गया है के यूनिवर्सिटी के स्टाफ छात्रों के समस्या के समाधान के बजाय उन पर अभद्रता से बरस पड़ते हैं। छात्र देश का भविष्य होते हैं और College और University उनके करियर का पहले और अभिन्न प्रारूप की छवि होते हैं इस तरह का व्यवहार उनके मस्तिष्क में हीन भावना की उत्पत्ति कर सकता है।
Magadh University के प्रबंधन के अपर अधिकारी को इन सबका संज्ञान लेकर यूनिवर्सिटी के स्टाफ से बराबर जवाबदेही लेनी चाहिए और छात्रों के समस्या को सुनने के लिए विशेष उपाय को लागू करना चाहिए साथ साथ सुझाव और शिकायत पेटी को सही जगह केंद्रित करके उसमे लिखे समस्याओं का समाधान करना चाहिए, ताकि किसी भी छात्र का कीमती साल या महिना बर्बाद न हो पाए, कोई भी स्टाफ या गैर स्टाफ अपनी मनमानी न चला सके, सही समय पर समस्या का समाधान हो और ये Magadh University अपनी नाम की तरह अपने काम मे भी बड़ा रहे।