ऐसा कई बार हुआ है जब Police जांच के दौरान सड़क पर लोगों की पिटाई करती दिखी है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या पुलिस को यह अधिकार (Our Legal Right) है कि वह किसी पर हाथ उठाए या लाठी चलाए? क्या किसी आरोपी को भी अपने बचाव का अधिकार है? इस Article में हम इससे जुड़े सवाल Police की मनमानी और आपके Legal Rights और जवाब को कानून के अधिकार के हिसाब से जानेंगे।
Police और Our Legal Rights
Police को कानून (Law) के दायरे में ही ऐक्शन लेने का अधिकार (Our Legal Rights) है। किसी को सजा (Punishment) देने का कोई अधिकार नहीं है। पुलिस के पास किसी को गिरफ्तारी करने का जो अधिकार है, वह सीआरपीसी की धारा-41 में बताया गया है। Advocate नवीन शर्मा बताते हैं कि:-
[quote style=”default”]पुलिस गंभीर अपराध (Crime) के मामले में बिना वॉरंट (Without Warrant) के गिरफ्तारी (Arrest) कर सकती है। अगर कोई भगोड़ा है तो उसे पुलिस गिरफ्तार कर सकती है या अंदेशा हो कि कोई गंभीर अपराध करेगा। मामला संज्ञेय अपराध (Serious Crime) का नहीं है तो गिरफ्तारी के लिए पुलिस को Magistrate की Court से Warrant जारी कराना होता है। अगर कोई धारा-144 का या Lockdown का या Curfew का उल्लंघन कर रहा है तो पुलिस कानूनी दायरे में कार्रवाई कर सकती है।[/quote]
क्या Police को यह Rights है कि Lockdown तोड़ने वालों को पीटे या उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाए?
Advocate ज्ञानंत सिंह बताते हैं कि Police या किसी प्रशासनिक अधिकारी को कानून के दायरे में ही कानून पालन करने का अधिकार है। पुलिस को कानून व्यवस्था (Law and Order) लागू करने की जिम्मेदारी दी गई। है। रक्षक खुद से भक्षक नहीं बन सकता। पुलिस का काम है कि वह मुकदमे के लिए छानबीन करे। अगर कोई महामारी के बावजूद कानून का उल्लंघन करता है और Curfew या Lockdown का बेवजह उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ IPC के तहत कानूनी कार्रवाई हो सकती है लेकिन उसे किसी भी हाल में पीटा (Beat) नहीं जा सकता।
पुलिस को गिरफ्तारी के वक्त बल प्रयोग का अधिकार है लेकिन वह वाजिब होना चाहिए। अगर कोई निहत्था है तो उस पर लाठी नहीं चला सकते। कोई लाठी से लैस है तो पुलिस बल प्रयोग कर सकती है। Pistol आदि से लैस है तो पुलिस अपनी सुरक्षा में गोली भी चला सकती है लेकिन ये सब स्थिति पर निर्भर करता है। निहत्थे (Unarmed) इंसान को पुलिस थप्पड़ नहीं मार सकती, न ही उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा सकती है। सजा देना अदालत (Court) का काम है।
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क्या Police किसी भी हाल में किसी को पीट नहीं सकती?
Advocate अमन सरीन बताते हैं कि डीके बासु से संबंधित वाद में Supreme Court ने कहा था कि गिरफ्तारी के बाद Police की ड्यूटी है कि वह आरोपी को उसके वकील (Lawyer) से मिलने दे। गिरफ्तारी के वक्त Arrest Memo पर आरोपी के रिश्तेदार या दोस्त या मौके पर मौजूद शख्स के दस्तखत (Signature) हों और यह बताया जाए कि आरोपी से क्या-क्या बरामद हुआ। आरोपी के रिश्तेदार को इस बारे में इत्तला (Information) करना जरूरी है कि किस मामले में गिरफ्तारी हुई। आरोपी का Medical कराना जरूरी है। Custody में भी हर 48 घंटे पर मेडिकल कराना जरूरी है। पुलिस को Remand में 3rd Degree देने का अधिकार नहीं है।
अगर किसी को Police सरेराह पीटती है या बदतमीजी की जाती है तो वह क्या करे?
Advocate नवीन शर्मा का कहना है कि संविधान का अनुच्छेद-21 सबको गरिमा (Dignity) के साथ जीने का अधिकार (Rights) देता है। अगर पुलिस किसी को पीटती या बदतमीजी करती है तो वह कानूनी रास्ता (Legal way) अख्तियार कर सकता है।
Conclusion
अब हमें Our Legal Rights जानने के बाद और एक जिम्मेदार Indians होने के नाते ये ध्यान रखना फर्ज है के हमारी वजह से वो ड्यूटी कर रहे Police वालों की Duty मे अच्छे से सहयोग करें उनसे कोई ऐसी बात या बदतमीजी न करें जिनसे उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचे, आप अपनी तरफ से कोई गलती न करें तो देश का कानून आपका साथ और अधिकार देने को सदेव तत्पर है बस सही दिशा मे पहल की जरूरत होती है।
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